इस्लाम धर्म में कुरान की शिक्षा हासिल करना सबसे अनिवार्य हैं, अमूमन देखा जाता हैं कि बच्चे 15 से 16 साल की उम्र में क़ुरान को मुकम्मल करते हैं और क़ुरान को याद करने या हिफ़्ज़ करने में कई साल लग जाते हैं लेकिन इंग्लैंड के लूटन में रहने वाली बच्ची ने केवल सात साल की उम्र क़ुरान हिफ़्ज़ किया हैं.
सात वर्षीय मरिया ने सिर्फ पांच साल की उम्र में सूरह यासीन को याद किया जिसके दो वर्ष बाद उसने क़ुरान हिफ़्ज़ कर लिया.
मारिया के हिफ्ज़ में उनकी माँ का बहुत योगदान है, उन्होंने 5 घंटे रोजाना मारिया के हिफ्ज़ करने के तय किये उनका कहना है “अल्लाह ने हमको और मेरी बेटी को सब्र दिया वरना ऐसा करना आसान नही था.”